18upchoti !

Enjoy daily new desi sex stories at 18upchoti erotic literature forum. Also by creating an account here you will get exclusive access to features such as posting, discussion, & more. Feel free to sign up today!

Register For Free!
  • Activate dark mode by clicking at the top bar. Get more features + early access to new stories, create an account.

Hindi - हिन्दी Incest सेक्सी चाची के गदराये शरीर का मजा

  • Thread Author
देसी चाची सेक्स कहानी में पढ़ें कि मुझे जवानी चढ़ रही थी और पड़ोस की एक चाची मुझे बहुत पसंद थी. मैं उनसे बहुत प्यार करना चाहता था.

दोस्तो, मेरा नाम रोमियो है.
अभी मेरी उम्र 32 साल है लेकिन जो देसी चाची सेक्स कहानी मैं आपको सुनाने जा रहा हूँ, वो आज से कुछ साल पहले की है.

उस दिन मेरा 19वां जन्मदिन था, मैं बहुत खुश था और सभी मुझे जन्मदिन की बधाइयां दे रहे थे.
उन दिनों केक वगैरह काटने का तो ज़्यादा चलन नहीं था मगर मेरी मम्मी के कहने पर मैं अपने सभी दोस्तों और आस पास के करीबी रिश्तेदारों को मिठाई देने ज़रूर गया था.

इसी सिलसिले में मैं पड़ोस में रहने वाली अपनी एक चाची के घर गया.
उनका नाम वर्षा चाची था और मैं पहले भी कई बार उनके यहां आया जाया करता था.

वर्षा चाची की उम्र उस वक़्त 35 साल की रही होगी. उनका जिस्म एकदम ज़बरदस्त भरा हुआ था जो मुझे बहुत पसंद था.

मुझे किसी भी महिला के मोटे मोटे स्तन और सलवार में ठुमके लगाते हुए उसके भारी भारी चूतड़ बहुत पसंद आते थे.

वर्षा चाची भी कुछ उसी तरह के शरीर की मालकिन थीं.
जब भी मैं उनसे मिलता था, मेरे मन में सिर्फ एक ही ख्वाहिश आती थी कि मुझे वर्षा चाची को खूब सारा प्यार करना है.

उस दिन मैं उनके घर गया, तो दरवाज़ा उनकी सासु मां ने खोला था.

उनको मैंने मिठाई दी तो उन्होंने कहा- बेटा, ऊपर वाले कमरे में तेरी चाची सो रही है, जा उसको जगा दे. शाम हो गयी है, वो कुछ चाय पानी का इंतज़ाम कर देगी.
मेरी आंखों में चमक आ गयी.

मैं तीन तीन सीढ़ियों को एक एक कदम से चढ़ता जा रहा था. जल्द ही मैं सीढ़ियों को पार करके सीधा चाची के कमरे में पहुंच गया.

चाची अपने बेड पर बेसुध पड़ी थीं.
उनके दोनों हाथ सर की ऊपर की तरफ थे और वो सूट सलवार पहने हुए पड़ी थीं.
सीने से चुन्नी का कोई अता-पता नहीं था.

चाची को इस अवस्था में देख कर मेरे मन में उनके लिए बेशुमार प्यार उमड़ आया.
मन ने चाहा कि अभी उनको बांहों में भर कर बेइंतेहा प्यार करूं.

उनके तन के एक एक हिस्से को चूमने का मन हो रहा था.
अचानक से मैं अपने ख्यालों के समंदर से बाहर आया और धीमी सी आवाज़ में प्यार से आवाज़ लगाई- चाची जी!

वो नहीं उठीं.

मेरा अंतर्मन भी हक़ीक़त में उनको उठाना नहीं चाहता था.

मैंने फिर से आवाज़ लगाई.
लेकिन वो नहीं उठीं.

सोती हुई चाची को देख कर मेरा मन हर्षोउल्लास से भरा जा रहा था.

उनके गदराये जिस्म को ऊपर से नीचे तक मैं ऐसे निहार रहा था जैसे वो मेरे सामने निर्वस्त्र पड़ी हैं.

मैंने चाची को गाल पर हल्की सी थपकी दी.
वो तब भी नहीं उठीं.

फिर मैंने उनका गाल थोड़ा ज़ोर से थपथपाया लेकिन वो अब भी नहीं उठीं.

मेरा दिल बड़ी ज़ोर जोर से धड़कने लगा.
मुझे लग रहा था कि बस अगले पल मैं चाची को अपनी बांहों में भर लूंगा पर कुछ सोच कर मैंने अपने आपको रोक कर रखा हुआ था.

जब चाची नहीं उठीं तो अनायास ही मैंने उनको पेट पर हाथ लगाकर हिलाया.
कमाल कि बात थी कि इससे भी उन पर कोई असर नहीं हुआ.

मैंने फिर से गाल हिलाया.
फिर से पेट से हिलाया.
इसी जद्दोजहद में मेरा हाथ चाची की गोल मोटी चूची को छू गया.

मेरे शरीर में करंट सा दौड़ गया.
मेरे मन में बस एक ही ख्याल आ रहा था कि चाची प्लीज़ उठना मत.

पता नहीं, कहां से मुझमें इतनी हिम्मत आयी, मैंने अपना हाथ पूर्णतया चाची की चूची पर रख दिया.
मैं पहली बार किसी महिला की चूची को छू रहा था.

मेरे लिए यह एक अलौकिक सुख था.
चाची टस से मस नहीं हो रही थीं.

मेरे दोनों हाथ चाची की चूचियों पर खेल रहे थे.
मैं महसूस कर सकता था कि चाची ने पतले से सूती कपड़े के सूट के नीचे ब्रा पहनी हुई थी.

मेरा लंड उफान मार रहा था और मेरी जींस में मुझे बहुत परेशान करने लगा.

अब मेरा मन केवल यहीं रुकने वाला नहीं था.
मैंने ज़्यादा देर न करते हुए अपना एक हाथ चूची पर ही रखा और दूसरे हाथ से हल्के हल्के से सहलाते हुए उसे नीचे ले जाने लगा.

चाची के पेट से होते हुए मेरा हाथ उनकी सलवार तक पहुंच गया.

मैंने उनका सूट उठा कर उनकी चूत से ऊपर कर दिया.
चाची ने सलवार भी काफी पतले सूती कपड़े की पहनी हुई थी लेकिन इतना अलौकिक सुख पहली बार मिलने के कारण मेरी आंखें धुंधला चुकी थीं और मैं उतना साफ़ साफ़ नहीं देख पा रहा था, जितना उस पतले कपड़े में से दिखना चाहिए था.

खैर … मैंने अपने हाथ को आगे बढ़ाया और चाची की चूत तक ले गया.

आज भी मैं हैरान होता हूँ कि मुझमें इतना साहस कहां से आया था.
शायद ये चूत की लालच चीज़ ही ऐसी होती है.

चाची की चूत पर जैसे ही मेरा हाथ गया, मुझे लगा मैंने दुनिया की सबसे हसीन और मूल्यवान चीज़ को हथिया लिया है, अब इससे ऊपर दुनिया में कुछ नहीं है.
जैसे मेरे हाथों को ऊपर चाची की ब्रा का अहसास हुआ था, उसी तरह से मुझे चाची की पैंटी का अहसास नहीं हुआ.

ये बात मेरे लिए परेशान करने वाली थी.

मैंने अपने हाथ को थोड़ा इधर उधर फिराया लेकिन पैंटी जैसा कुछ महसूस ही नहीं हुआ.
अचानक मुझे हाथ फिराते फिराते चाची के झांट के बाल महसूस हुए.
चाची ने पैंटी पहनी ही नहीं हुई थी.

मैंने आज तक किसी महिला की चूत नहीं देखी थी. पोर्न फिल्म भी नहीं देखी थी.
यह मेरे लिए एक बहुत ही अद्भुत और मज़ेदार पल था.

मेरा एक हाथ चाची की चूची को और दूसरा हाथ उनकी चूत को लगातार सहला रहा था.
बीच वाली उंगली चाची की चूत की फांक में अपने आप अपनी जगह बना चुकी थी.

अब मुझसे रुका नहीं जा रहा था और मेरा लंड ऐसा लग रहा था, मानो अभी फट पर चिथड़े चिथड़े हो जाएगा.
मैंने अपना ऊपर वाला हाथ चाची के गले में से अन्दर डाल कर चूचियों को पकड़ना चाहा.

लेकिन इतनी मोटी मोटी चूचियों में उनका कमीज इतना कस गया था कि हाथ अन्दर डालने की गुंजाइश नहीं थी.

वहां नहीं, तो मैंने अपना दूसरा हाथ सीधे चाची की सलवार में घुसाना चाहा.
चाची ने सलवार का नाड़ा भी इतना टाइट बांधा गया था कि मेरा हाथ सलवार में भी नहीं घुस पाया.

लेकिन मेरा लंड पुकार पुकार कर कह रहा था कि अब रुकना नहीं है रोमियो.
मैंने चाची का नाड़ा पकड़ा और खींच दिया.

चाची की झांटों के हल्के से दर्शन मुझे हो गए.
ये वो पल था, जब मैं अपने आपको इसे आगे नहीं रोक पाया और मैंने सब कुछ छोड़ कर अपनी जींस खोल कर अपने लंड को फ्रेंची से बाहर निकाल कर आज़ाद कर दिया.

अपने लंड को मैंने इतना उत्तेजित और गर्म आज तक नहीं देखा था.
लंड को पकड़ कर मैंने उस पर दो तीन स्ट्रोक लगाए, मुँह से अपने आप सिसकारी निकल गयी ‘वर्षाआआ चाचीईईई …’

मैंने अपना लंड छोड़ा और फिर से चाची पर टूट पड़ा, लेकिन प्यार से.

इस बार मेरे दोनों हाथ चाची की चूत पर थे, उनकी खुली सलवार को नीचे किया और चूत के दर्शन होते ही आंखों के सामने अंधेरा छा गया.
मैंने ऐसा नज़ारा आज से पहले कभी नहीं देखा था.

मुझे खुद नहीं पता कि ये कैसे हुआ, लेकिन अगले ही पल मेरे होंठ चाची की चूत से जा मिले.
उनकी चूत को ऊपर से किस किया और उनकी झांटों की बेहतरीन खुशबू में खो गया.

मैं चाची की कमर के हिस्से के पास खड़ा था, उनकी चूत से एक सेकंड के लिए भी नज़र हटाए बिना उसमें खोया हुआ था.

मेरा लंड चिल्ला चिल्ला कर कह रहा था कि अभी अगर तुमने स्खलन नहीं किया, तो मैं फट जाऊंगा.

तभी अचानक चाची ने दूसरी तरफ ऐसे करवट ले ली मानो कह रही हो कि बेटा आगे का सब कुछ देख लिया, अब ज़रा गांड के दर्शन भी कर ही लो.
चाची के गोल गोल मोटे चूतड़ देखते ही मेरी आंखें खुली की खुली ही रह गईं. चाची के चूतड़ मेरी कल्पना से कहीं ज़्यादा बड़े और गोरे थे.

उनके चेहरे पर एक दो निशान ज़रूर थे लेकिन चूतड़ एकदम गोरे-चिट्टे और बिल्कुल चिकने थे.
मुझसे रुका नहीं गया और अपनी लपलपाती हुई जीभ से उनके चूतड़ों को चाटने लगा.

यहां मेरे साथ अनहोनी हो गयी.

चाची की सास आवाज़ लगाती हुई ऊपर आ रही थीं- अरे रोमी, तुझे उसको जगाने के लिए भेजा था, तू भी न जाने कहां खो गया?
मेरी गांड फट कर गुड़गांव हो गयी. मैंने अपना लंड जल्दी से अन्दर किया और बाहर की तरफ भागा.

दरवाज़े पर चाची की सास आती हुई दिखीं, तो उन्हें दरवाज़े से बाहर ही रोकना चाहा.
मैंने कहा- चाची ने कहा है कि दो मिनट रुको, अभी उठ कर आ रही हूँ.

लेकिन उनकी सास किसी और मूड में थीं, वो सीधे अन्दर घुस गईं.
मुझे लगा कि रोमियो बेटा, आज तू गया.
क्योंकि चाची के कपड़े अस्त व्यस्त थे.

लेकिन देखा तो चाची के कपड़े एकदम ठीक-ठाक अवस्था में थे. चाची अपने बेड पर उसी तरह बेसुध पड़ी थीं, जैसे पहले थीं.
ये देख कर मुझे हैरानी भी हुई और जान में जान भी आयी.

सास ने चाची के ऊपर पानी डाला, तो चाची हड़बड़ा कर उठीं.

‘अरे मां जी आप कब आईं?
सास ने चिल्लाते हुए कहा- तुझे आधा घंटा से जगाने की कोशिश कर रहे हैं सब लोग, तू उठे तब ना!

चाची ने सासु मां को सॉरी बोला और मेरी तरफ देख कर हल्की मुस्कान के साथ कहा- वो दरअसल मैं एक बहुत प्यारा सा सपना देख रही थी और उसको अधूरा नहीं छोड़ना चाहती थी.
उनका सीधा इशारा मेरी तरफ था.

वो जाग रही थीं और उन्होंने सब एन्जॉय किया था.
फिर चाची ने मुझे जन्मदिन विश किया और सासु मां से कहा- आप नीचे चलिए, मैं रोमियो को उसका गिफ्ट देकर पांच मिनट में नीचे आती हूँ.

सासु मां के नीचे जाते ही चाची अपने बेड पर बैठ गईं और उन्होंने अपनी टांगें चौड़ी कर दीं.

वो मेरी तरफ खतरनाक मुस्कान और आंखों में शरारत के साथ देख रही थीं, मानो पूछ रही थीं कि क्यों बच्चू, कैसा लगा मेरा खेल?

मैं उनके सामने खड़ा उनकी तरफ निरुत्तर देखे जा रहा था.

‘तेरा लंड तो बहुत कड़क है यार.’
चाची के मुँह से ये शब्द सुनते ही मेरा मन झन्नाटे मार कर हंस दिया और लंड फुंफकार मार कर फिर से तन गया.

मैं शर्मा कर हल्की मुस्कान देने लगा.
‘इधर आ …’ कह कर चाची ने मुझे अपने पास आने का इशारा कर दिया.

आगे बिना और कुछ बोले और पूछे, चाची ने सीधा मेरी जींस खोली और अंडरवियर नीचे करके मेरा लंड बाहर निकाल लिया.
मेरा शरीर कांपने लगा.

चाची ने मेरा लंड अपने हाथ में लिया, उसकी खाल को ऊपर नीचे करने लगीं.
मैं आपे से बाहर हो रहा था.

अचानक चाची ने मेरे लंड के टोपे को अपने मुँह में ले लिया.
ऐसा करते ही मेरे अन्दर एक ज़बरदस्त लहर उठी और मैंने अपना सारा माल चाची के मुँह में ही उड़ेल दिया.

इतना वीर्य मेरा तीन बार मुट्ठी मारने से निकलता था, जितना आज एक ही बार में निकल गया था.
चाची पोर्न फिल्मों की नायिका की तरह सारा माल पी गईं और ज़ोर ज़ोर से हंसने लगीं.

मैं उनके बेड पर गिर गया.
दो मिनट बाद उठने की हालत में आया, तो चाची अब भी मुझ पर हंस रही थीं.

‘बस बेटा, निकल गयी गर्मी?’
चाची के ये शब्द मेरे पौरुष को चीर गए और मैं शर्म के मारे पानी पानी हो गया.

मेरी नज़रें ऊपर नहीं उठ रही थीं. हल्के हल्के से आंसू भी आ गए थे.

चाची ने यह देखा और मुझे गले लगा लिया- अरे अरे रोमियो, मैं तो मज़ाक कर रही थी. ऐसा अक्सर सभी के साथ होता है. चिंता की कोई बात नहीं है, सब ठीक है. अब एक अच्छी सी स्माइल दो.

उनके इन शब्दों ने मुझे थोड़ा सुकून दिया.
चाची ने मुझे होंठों पर एक प्यारा सा किस दिया और फिर से जोर से हग कर लिया.

मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया.

‘ये देखो, कितना शानदार औज़ार है, कितनी जल्दी दोबारा तैयार हो गया … हां?’
मैं भी ख़ुशी से शर्मा गया.

‘लेकिन आज नहीं … और किसी दिन. तुम्हारा बर्थडे गिफ्ट उधार रहा. आज अगर मैं जल्दी नीचे नहीं गयी तो मेरी सास मुझे खा जाएगी.’

तो दोस्तो, कैसी लगी मेरी देसी चाची सेक्स कहानी?
मेरी अगली कहानी मैं आप लोगों को बताऊंगा कि चाची ने मेरा उधार बर्थडे गिफ्ट, कब और कैसे चुकाया.

तब तक के लिए शुक्रिया.
deepak29fastrack@gmail.com
 

Love reading at 18upchoti? You can also share your stories here.
[ Create a story thread. ]
Top