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Hindi - हिन्दी Incest बुआ की बेटी की प्यासी चूत की चुदाई (All Parts) (ongoing)

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Part 1​

सेक्सी दीदी की सेक्सी बॉडी का मजा लिया मैंने उनके बदन को छूकर, सहलाकर! एक बार मैं बुआ के घर गया तो दीदी आई हुई थी. उन्होंने मेरे कसरती बदन को चूम लिया.

मित्रो और लंड की रानियो, मैं आपके पास अपनी पहली सेक्स स्टोरी लेकर हाजिर हूँ.

यह सेक्स कहानी दरअसल एक आकाश नाम के लड़के की दास्तान है जिसने मुझे बताया कि उसकी लाइफ में क्या क्या हुआ.

आप उसी की जुबानी इस सेक्सी दीदी की सेक्सी बॉडी की कहानी का मजा लीजिए.

दोस्तो, मेरा नाम आकाश है.
यह सच्ची सेक्स कहानी मेरी बुआ की लड़की और मेरे बीच हुई चुदाई की कहानी की है.

मैं अहमदाबाद शहर में रहता हूँ.
मेरी उम्र 20 साल है और मैं कॉलेज में स्नातक का प्रथम वर्ष का छात्र हूँ.

मैं नियमित रूप से जिम जाता हूँ, जिसके कारण मेरी बॉडी भी काफी आकर्षक है.
रंग रूप से भी मैं दिखने में काफी आकर्षक हूँ.

मेरे लंड का साइज़ 7 इंच है और काफी मोटा लंड है जो किसी भी लड़की भाभी या चाची को बड़े आराम से संतुष्ट कर सकता है.

मैं अपनी बुआ की लड़की के बारे में बता देता हूँ.

वे 28 साल की हैं और थोड़ी सांवली हैं लेकिन उनका फिगर बहुत मस्त है.
उनके फिगर का साइज़ 34-28-36 है इसके कारण वह पर्फेक्ट माल लगती हैं.

दीदी और उनकी फैमिली अहमदाबाद में ही रहती है लेकिन गांव में.
जबकि जीजू की फैमिली हैदराबाद में रहती है और जीजू अपने काम के सिलसिले में सऊदी अरब में रहते हैं.

जीजाजी साल में दो महीने की छुट्टी में ही भारत आते हैं बाकी के समय वे अपना काम पर विदेश में रहते हैं.

मैं सुबह जल्दी उठ जाता हूँ.
मैंने अपने घर में ही जिम बनाया है, जिसमें मैं कसरत करता हूँ.

उस दिन रोज की तरह मैं जिम में कसरत कर रहा था, सुबह 7:30 बजे थे.

उसी वक्त मेरी मम्मी ने मुझे नाश्ता करने के लिए बुलाया- बेटा नाश्ता कर लो, जल्दी आ जाओ नीचे.
मैं- आ रहा हूँ मम्मी!

मैं नीचे आ गया और देखा कि डैड और मेरी बड़ी बहन नाश्ता कर रहे थे जबकि मम्मी रसोई में थीं.

मैं- डैड गुड मॉर्निंग, दीदी गुड मॉर्निंग!
डैड- गुड मॉर्निंग बेटा!
दीदी- गुड मॉर्निंग बंदर.

जैसे ही उसने मुझे बंदर कहा, मैं झूठे गुस्से से दीदी को देखने लगा और दीदी हंसने लगी थी.

डैड- बेटा, तेरी पढ़ाई कैसी चल रही है?
मैं- अच्छी चल रही है डैड.

दीदी- डैड, यह एकदम झूठ बोल रहा है. सारा दिन यह लफंगों के साथ घूमता रहता है. ना घर आने का होश रहता है और ना पढ़ाई का होश है … एकदम आवारा बनता जा रहा है.
डैड ने गुस्से में मेरी तरफ देखा और बोले- ये मैं क्या सुन रहा हूँ बेटा, इतनी शिकायत कैसे आ रही है मेरे पास?

पीछे से मॉम आईं और दीदी के कान पकड़ कर बोलीं- तुझे झूठ फैलाने के अलावा और कोई काम नहीं है क्या? मेरे बेटे को कोई कुछ नहीं कहेगा!

क्योंकि घर में मेरी मॉम की चलती है तो सभी मॉम की बात मानते हैं.

डैड- अरे माफ़ कर दो भाग्यवान.

उसके बाद मॉम ने मुझे नाश्ता दिया और मैं नाश्ता करने लगा.

मॉम- बेटा आज कॉलेज मत जाना.
मैं- क्यों मॉम?
मॉम- बेटा, तुझे आज तेरी बुआ के घर जाना है. उन्होंने तुझे बुलाया है.

मैं- ओके मॉम, कब जाना है?
मॉम- अभी सर्दी का मौसम है, तो दोपहर को निकल जाना.
मैं- ओके मॉम.

मैं नाश्ता करके अपने कमरे में चला गया और अटैच बाथरूम में नहाने लगा.

नहाने के बाद बैग रेडी करके मैं गांव की तरफ निकल गया.

वहां पहुंच कर मैंने फूफा जी को प्रणाम किया और किचन में खड़ी बुआ को भी प्रणाम किया.

आज बुआ और उनकी फैमिली से मैं बहुत टाइम बाद मिला था.
उन्होंने मुझे गले से लगा लिया, मैंने भी उन्हें टाइट हग कर लिया.

आलिंगन करने से उनके बूब्स मेरे सीने मैं धँस गए, जिससे मुझे बहुत अच्छा लगा और मेरा लंड कड़क हो गया.

शायद बुआ को भी इस बात का अंदाज़ा हो गया था कि मेरा लंड फन उठा रहा है.

बुआ- बेटा, तुझे हमारी याद नहीं आती क्या?
मैं- ऐसी बात नहीं है बुआ, मैं थोड़ा बिज़ी था, इसलिए आ नहीं सका माफ़ कर दीजिए.

मुझसे अलग होकर बुआ बोलीं- कोई बात नहीं, अब आते रहना.
मैं उनके दूध देखता हुआ बोला- जी बुआ, अब तो आता रहूँगा.

बुआ भी शायद मेरी मादरचोद नजरों को समझ गई थीं इसलिए वे जल्दी से बोलीं- तू बाहर बैठ, मैं थोड़ी देर में आती हूँ.

मैं बाहर आकर सोफे पर बैठ गया और फूफा जी से बात करने लगा.

फूफा- बेटा आने में कोई दिक्कत तो नहीं हुई!
मैं- नहीं फूफा जी, कोई दिक्कत नहीं हुई!

फिर इधर उधर की बातें करने के बाद फूफा जी अपनी दुकान पर चले गए.

मैं- बुआ दीदी कहीं दिखाई नहीं दे रही … कहां गई हैं … यहीं हैं या ससुराल?

बुआ- नहीं, अभी आई हुई है. वह अभी ऊपर वाले कमरे में होगी, जा मिल ले.

मैं सीधे ऊपर वाले कमरे में गया.
अन्दर दीदी ईयरफोन कानों में लगा कर गाने सुन रही थीं.
वे बेड पर पेट के बल लेटी हुई थीं.

मैं कमरे में धीरे से गया और दीदी की गांड का आकार देखने लगा.
उनकी गांड देखते ही मेरे मुँह में पानी आ गया.

मैंने सोचा कि दीदी की गांड में अभी ही लंड पेल देता हूँ, पर यह मैं कर नहीं सकता था.

मैं बिना आवाज के अन्दर जाकर बिना उन्हें पता लगे पीछे से सेक्सी दीदी की सेक्सी बॉडी को हग किया और अपने हाथों से उनकी आंखें बंद कर दीं.
इससे मेरा लंड उनकी गांड की दरार में जा घुसा और दीदी की धीरे से सिसकारी निकल गई ‘आह’

इस बात से वे जरा असहज हो रही थीं … पर दिखा नहीं रही थीं कि उन्हें क्या हुआ.

उन्होंने पलट कर मुझे हग किया.
जिससे मेरा लंड अब उनकी चूत को रगड़ रहा था.

वे लंड की सख्ती महसूस करते ही मुझसे अलग हो गईं.

अंजलि दीदी- भाई, काफी समय बाद मिल रही हूँ तुझसे … मैं बहुत खुश हूँ कि तू आ गया!

मैं- हां दीदी, आपकी शादी के बाद अब जाकर आपसे मिल रहा हूँ. मुझे भी बहुत अच्छा लगा कि आप यहां हो.

दीदी- भाई, कितना बड़ा हो गया है तू … क्या तुझको कभी अपनी दीदी की याद नहीं आती?
मैं- नहीं दीदी, ऐसी बात नहीं है. कभी आने का टाइम ही नहीं मिला और आप भी तो अपनी ससुराल चली गई थीं.

दीदी- हां यार, चल कोई बात नहीं. अब तू आ गया है तो तू भी चलियो मेरी ससुराल!
मैं- क्या … आप वापस जा रही हो क्या?

दीदी- हां भाई, तेरे जीजू का सुबह कॉल आया था कि वे इंडिया आ गए हैं. इसलिए मुझे अब जाना पड़ेगा और तुझे भी मेरे साथ हैदराबाद चलना है!
मैं- जी दीदी.

अब हम दोनों नीचे आ गए और दीदी ने वापस जाने की खबर बुआ को दे दी.

फिर तय हुआ कि कल रात को अहमदाबाद से हैदराबाद की ट्रेन से मैं और दीदी जाएंगे.
मैंने अपने घर पर भी कह दिया कि मैं अंजलि दीदी के साथ हैदराबाद जा रहा हूँ.

रात को फूफा जी ने दुकान से आकर मेरे और दीदी के टिकेट्स बुक किए.

उन्होंने एसी फर्स्ट के एक दो बर्थ वाले कूपे में बुकिंग करवा दी थी.
या यूं कहें कि मेरे नसीब से दो बर्थ वाला कूपे ही मिल गया था।

मेरी बुआ के घर में 3 रूम हैं, जिसमें से एक बुआ और फूफा का, एक गेस्ट रूम और ऊपर छत से लगा रूम दीदी का है.
जब दीदी यहां नहीं होती हैं तो वह कमरा खाली ही रहता है.

खाना खाकर मैं गेस्ट रूम में चला गया और अपनी पैकिंग करने लगा.
एक मिनट बाद दीदी कमरे में आईं और मेरे बेड पर बैठ गईं.

मेरी और दीदी में इधर उधर की बातें हुईं.
फिर दीदी ने कहा- आज तू मेरे ही रूम में सो जा!

मैंने हां कहा.
और दीदी के साथ उनके कमरे में सोने चला गया.

हम दोनों बातें करने लगे.

दीदी- एक बात पूछूँ तुझसे?
मैं- हां पूछो ना!

दीदी- तेरी कोई गर्लफ्रेंड है या नहीं?

इस सवाल पर मैं एकदम से चौंक गया कि दीदी ने यह क्या पूछ लिया!
मैं हड़बड़ा कर बोला- न.. नहीं दीदी, मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है!
दीदी- क्यों? तू तो इतना हैंडसम है, लड़कियां तो तेरे पीछे पड़ी होंगी?

मैं- नहीं दीदी, मैंने इन बातों पर कभी ध्यान नहीं दिया.
दीदी- हम्म …

मैं- अब सोते हैं, काफ़ी रात हो गई है.

हम दोनों एक ही बेड पर और एक ही कंबल में लेट गए थे.
सर्दी अधिक होने के कारण मैं और दीदी आपस में सट कर सोये हुए थे.

जल्द ही मुझे नींद आ गई और दीदी को भी.

सुबह जब नींद खुली तो मैंने देखा कि मेरा एक हाथ उनके बूब्स पर था और एक पैर उनके पैर पर था.

उनके बूब्स बहुत नर्म थे.
मैं उनके बूब्स पर हाथ फेरने लगा और दीदी कसमसाने लगीं.

उनके बदन में हलचल देख कर मैं रुक गया और कमरे से निकल आया.

मैं बाहर सर्दी में छत पर कसरत करने लगा.
काफ़ी देर तक एक्सर्साइज़ करने के बाद मुझे पसीना काफ़ी आने लगा था.

तो मैंने अपनी टी-शर्ट उतार दी और कमरे की तरफ देखा.
दीदी मेरी बॉडी को देख रही थीं.

मैंने जब उनकी तरफ देखा, तो वे नीचे चली गईं.

थोड़ी देर बाद उन्होंने मुझे नीचे से आवाज़ दी- आकाश नाश्ता कर लो.

मैं नीचे आ गया और सबको गुड मॉर्निंग कह कर नाश्ता किया.

उसके बाद मैं नहाने के लिए दीदी के कमरे में गया और नहा कर तैयार हो रहा था.

तभी दीदी ने कहा- आकाश तूने बॉडी तो बड़ी अच्छी बनाई है!
मैं- हां दीदी, मुझे अपने शरीर का ध्यान रखना अच्छा लगता है.

वे मेरे डोले शोले देखने लगीं.

मैं- वैसे जीजू की भी ऐसी ही बॉडी होगी!
दीदी- नहीं यार, उनकी तेरी जैसी नहीं है!

मैं- अच्छा, वैसे आप बहुत खूबसूरत हो, जीजू की किस्मत खुल गई जो उनकी आपसे शादी हुई.
दीदी- हां उड़ा ले मजाक, मैं कहां से खूबसूरत लगती हूँ तुझे … इतनी सांवली तो हूँ!
मैं- मेरी नज़र से देखो तो आपको पता चलेगा कि आप कितनी क्यूट हो!

दीदी अपनी तारीफ़ सुनकर मुस्कुराने लगीं.

फिर वे कमरे का दरवाजा बंद करके मुझसे बोलीं- भाई, मैं तेरी बॉडी देख सकती हूँ क्या … मुझे प्लीज़ एक बार अपने 6 पॅक को छूने दे ना!
मैं मन ही मन में खुश हुआ कि दीदी अपनी तरफ से आमांत्रित कर रही हैं.

मैंने कहा- हां क्यों नहीं.

तभी मैंने टी-शर्ट निकाल दी और दीदी मेरे 6 पॅक एब्स को देखती रह गईं और मेरे पास आकर मेरी छाती और एब्स पर हाथ फेरने लगीं, जिससे मेरा लंड कड़क हो गया.

शायद दीदी को इस बात का अहसास हो गया था.
फिर भी वे मेरे पास आईं और मेरी छाती पर किस कर दिया.
बस मैं अभी सिहरा ही था कि वे मुस्कुराती हुई बाहर चली गईं.

मैं उनकी इस किस में ही खोया हुआ था.

फिर दिन भर मेरी दीदी से कोई बात नहीं हुई.

रात को मैंने और दीदी ने साथ में खाना खाया.

ट्रेन का टाइम हो गया था.

मैं किचन में गया और बुआ को पीछे से हग करके उनके गले पर किस करके बाइ बोला

बुआ- बेटा अंजलि का ख्याल रखना और जल्दी आना. मुझे मेरे बेटे के साथ भी रहना है!
मैं- ओके बुआ, जल्दी आऊंगा.

फिर बुआ मुझसे अलग हुईं और उन्होंने मेरे माथे व गाल पर किस किए.

वे चूमने के बाद मुस्कुराईं.
तो मैंने भी उनके गाल पर किस किया और बाहर आ गया.

शायद बुआ भी मुझसे चुदना चाहती हैं, मैं इसी ख्याल में खोया हुआ था.

तभी दीदी ने कहा- चलें!
मुझे और दीदी को फूफा जी ने कार से स्टेशन पर छोड़ दिया.

मैं और दीदी ट्रेन आने पर अपनी अपनी बर्थ पर आ गए.

मैंने अपने सामान को सैट किया और फोन चलाने लगा.

दीदी भी वॉशरूम में जाकर नाइट टी-शर्ट और लोवर पहन कर आ गईं, जिसमें वे कयामत लग रही थीं.
उनके दूध एकदम नुकीले से दिख रहे थे, निप्पल के दाने साफ उभरे हुए दिख रहे थे.

मेरा मन कर रहा था कि मुँह लगा कर निप्पल चूसने लग जाऊं.

मुझे घूरते देख कर दीदी बोलीं- ऐसे क्या देख रहे हो?
मैं बोला- खूबसूरत परी को देख रहा हूँ.

मेरी बात सुनकर वे मुस्कुरा दीं.

थोड़ी देर बाद टिकट चैकर आया तो उसको मैंने टिकट दिखाए.

अब कुछ ऐसा हुआ कि मैं और दीदी बातें करते हुए एक ही बर्थ में एक ही कंबल में लेटे हुए थे.

मैं- दीदी, हम लोग कल शाम तक पहुंचेंगे हैदराबाद!
दीदी- हां ठीक है, तुम सो जाओ.

मैंने अपनी टी-शर्ट निकाल दी और बिना टी-शर्ट के हो गया.

फिर जब नींद आने लगी तो मैं और दीदी चिपक कर सो गए थे.

रात को मेरी नींद खुली तो देखा दीदी की टी-शर्ट ऊपर को खिसकी हुई है.

मेरा मन डोल गया और मैंने उनके बूब्स पर हाथ रख दिया.
जिससे मुझे पता चला कि दीदी ने ब्रा नहीं पहनी थी.

मेरे हाथ में उनके नंगे बूब्स थे, मैं उनसे खेलने लगा और धीरे धीरे उनके बूब्स को दबा भी दे रहा था.
जिससे वे थोड़ी सी हिलतीं तो मैं रुक जाता.

इसी के चलते एक मर्तबा मैंने उनके निप्पल को मींज दिया तो उनकी नींद खुल गईं.
मैं रुक गया.

उन्हें लगा कि मैं सो गया हूँ .

उन्होंने मुझे देखा और अपने मम्मों से मेरा हाथ हटा दिया और अपनी टी-शर्ट सही कर ली.

मैंने दोबारा कोशिश नहीं की और उनके पेट पर हाथ रखकर सो गया.

सुबह उन्होंने मुझे उठाया, मैं जागकर वॉशरूम गया.
वापस आकर मैंने और दीदी ने कॉफी पी.
फिर मैंने थोड़ी देर मोबाइल चलाया.

इसी तरह टाइम पास होने लगा.
कभी कभी मैं उन्हें और उनके उभारों को नजर भर कर देख लेता तो कभी हमारी हंसी मजाक होती.

अन्ततः 6 बजे शाम को मैं और दीदी स्टेशन पहुंचे.
मैंने देखा कोई भी हमें लेने नहीं आया है.

मुझे लगा था कि जीजू हमें लेने आएंगे.

मैंने कॅब बुक की और हम घर की तरफ चल दिए.

घर मैं, जीजू और दीदी के सास ससुर थे।

मैं दीदी के सास ससुर से मिला और जीजू के साथ कुछ इधर उधर की बातें हुईं.

बात करने के बाद मैं ऊपर वाले कमरे में चला गया.

नीचे सास ससुर का कमरा था और एक कमरा मेड के लिए था.
ऊपर एक और कमरा था, जो कि दीदी जीजू का था.

रात को खाने के बाद मैं ऊपर वाले कमरे में चला गया और वहां पर नेटफिलिक्स पर मूवी देखने लगा.

मैं सोच रहा था कि आज तो जीजू के मजे हैं.
आज वे मेरी दीदी की चूत के मजे लेंगे और मैं साला लंड हिलाता रह जाऊंगा.

रात को सभी के सोने के बाद दीदी ने मेरे कमरे को नॉक किया.
मैंने सोचा कि इतनी रात में कौन आया होगा.

बाहर जाकर देखा तो दीदी थीं.
उन्होंने एक साड़ी पहन रखी थी, उसमें वे भी एक सेक्सी माल लग रही थीं.

मैं- क्या हुआ दीदी, आप यहां इतनी रात को?
दीदी- क्यों, क्या मैं इतनी रात में तेरे कमरे में नहीं आ सकती हूँ?

मैं- अरे जरूर आइए, पर इतनी रात को … सब ख़ैरियत तो है!

दीदी उदास मुँह करके बोलीं- नहीं, सब ख़ैरियत नहीं है. तेरे जीजू सो चुके हैं और वे पूरे बेड पर क़ब्ज़ा करके लेटे हैं.

मैं दीदी की तरफ सवालिया नजरों से देखने लगा.

दीदी- अब अन्दर भी आने देगा या यहीं से वापस भेजेगा?
मैं- अरे आईए ना!

दीदी आकर बेड पर बैठ गईं और मुझे दरवाजा बन्द करने को बोला.
मैं दरवाजे को लॉक करके उनके पास आकर बैठ गया.

मैं- क्या हुआ दीदी, आप उदास लग रही हो?
दीदी- क्या करें यार, शायद हम लोग ऐसे ही आए थे हैदराबाद … किसी को हमारी कोई चिंता ही नहीं है.

मैं- बताओ तो क्या हुआ?
दीदी- घोड़े बेचकर सोए पड़े हैं तेरे जीजू … मेरी तो कोई कदर ही नहीं है उनको!

मैं समझने की कोशिश कर रहा था कि दीदी क्या कहना चाहती हैं.

दोस्तो, दीदी की चूत में जीजू का लंड नहीं गया था, जिस वजह से वे चुदास से पीड़ित थीं.
शायद वे मुझसे चुदवाने का मन बना कर आई थीं.

सेक्सी दीदी की सेक्सी बॉडी कहानी के अगले भाग में दीदी की चुदाई का क्या हुआ और मैंने किस तरह से अपनी बहन की चूत की प्यास बुझाई, वह सब लिखूँगा.
आप प्लीज कमेंट्स जरूर करें और बताएं कि सेक्स कहानी कैसी लग रही है.
ag0016735@gmail.com

सेक्सी दीदी की सेक्सी बॉडी की कहानी का अगला भाग:
 

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Choti Editor
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Jul 9, 2024
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Part 2​

बड़ी बहन चूत चुदाई कहानी में मैं बुआ की बेटी के साथ उनकी ससुराल गया. रात को दीदी मेरे कमरे में आ गयी. वे उदास लग रही थी. वे मेरे पास लेट गयी.

दोस्तो, मैं आकाश अपनी सेक्स कहानी में बुआ की लड़की अंजलि की प्यासी चूत की चुदाई की दास्तान सुना रहा था.
कहानी के पहले भाग
फुफेरी बहन को चोदने की चाहत
में अब तक आपने पढ़ा था कि अंजलि दीदी को रात में उनके पति ने चोदा नहीं था तो वे अपनी चुदास से पीड़ित थीं और मेरे कमरे में आकर अपनी चुदास व्यक्त कर रही थीं.

अब आगे बड़ी बहन चूत चुदाई कहानी:

दीदी ने आगे बोलना जारी किया- उन्हें कभी मेरी जैसी सांवली औरत चाहिए ही नहीं थी. तभी तो उनको मेरे आने से कोई फर्क ही नहीं पड़ता … और वैसे भी मेरी जैसी सांवली औरत किसको चाहिए होगी?

मैं- अरे आप ऐसा मत बोलो दीदी, आप खुद को मेरी नज़र से देखो न कि आप क्या चीज हो?

मेरे मुँह से दीदी के लिए चीज शब्द निकला तो दीदी जरा हंस दीं और कहने लगीं- तू भी सिम्पैथी ही दिखा रहा है न!

मैंने दीदी का हाथ पकड़ कर उन्हें मिरर के सामने ले जाकर कहा- सामने देखो … आप जैसी फिगर और आप जैसी खूबसूरत औरतें इस दुनिया में शायद हैं ही नहीं … और यदि होंगी भी तो इक्का दुक्का ही होंगी, जो इतनी दिलकश और खूबसूरत परी जैसी होंगी.

दीदी ने अपने आपको मिरर में देखा, और मेरे सामने देखकर कहा- तो तेरा जीजा मुझे क्यों नहीं अपनाता है? उसने सिर्फ़ मुझे खुद के काम करने के लिए ही बुलाया है … उसकी नजरों में बस एक कामवाली से ज्यादा मेरी कोई औकात नहीं है.
मैं- मुझसे पूछो न कि आपके पास क्या है. आप लाखों में एक हो, जिसकी कदर वह चूतिया कर ही नहीं पा रहा है.

मैंने जल्दी जल्दी में जीजू के लिए चूतिया शब्द बोल दिया था, जिससे सुनकर दीदी मुस्कुरा दीं और मेरी छाती में प्यार से मुक्का मारकर बोलीं- क्या कहा तूने अभी?

मैं दीदी के पास को गया और उनके हाथ को अपने हाथ में लेकर बोला- सॉरी दीदी … मुँह से वह शब्द ग़लती से निकल गया … लेकिन ऐसे जीजू के लिए क्या कहा जाएगा, जो मेरी प्यारी दीदी का ख्याल नहीं रख रहा है.
वे चुप रहीं और मेरे सीने को अपनी उंगलियों से कुरेदने लगीं.

मैंने कहा- एक बात कहूँ, आप बुरा तो नहीं मानोगी?
दीदी- तेरी किसी भी बात का बुरा मैं मान ही नहीं सकती. कह दो जो कहना हो!

मैं- आप अगर मेरी बहन ना होतीं, तो मैं आपको ही अपनी गर्लफ्रेंड बना लेता … और आपको बहुत खुश रखता … कभी आपके चेहरे पर उदासी नहीं आने देता.

दीदी एक गहरी मुस्कान के साथ बोलीं- अपनी बहन को गर्लफ्रेंड बनाएगा?
मैं- अगर आप राज़ी हो जाओ तो!

दीदी मुझसे अलग होकर बोलीं- क्या बेवकूफों जैसी बातें कर रहा है. ऐसा कभी नहीं हो सकता, ये समाज के नियमों के खिलाफ है और एकदम ग़लत है.

दीदी मुझे दूर होकर बेड के दूसरे किनारे पर जाकर खड़ी हो गईं.
मैं उनके पीछे गया और धीरे से हग करने लगा.

मैं- इसमें ग़लत कुछ भी नहीं है दीदी, बंद कमरे में सब करते हैं और ये बात सिर्फ़ हम दोनों के बीच रहेगी पक्का प्रॉमिस … क़िसी को पता नहीं चलेगा. हम दोनों साथ भी रह सकते हैं.
दीदी- ये तुम क्या कह रहे हो, मैं तुमसे 8 साल बड़ी भी हूँ!

मैंने दीदी को अपने सामने किया और कहा- दीदी, मैं आपको चाहता हूँ. प्यार में उम्र कोई मुद्दा नहीं है.

यह कह कर मैंने उनके कान में कह दिया- यकीन करो दी, मैं आपको खुश कर दूँगा.
मेरी बात सुनकर दीदी ऊपर मुँह करके मेरी आंखों में देखने लगीं.

मैंने आगे बढ़कर उनके गुलाबी रसीले होंठों को चूम लिया और अपने गले से लगा लिया.

शुरुआत में तो दीदी ने साथ नहीं दिया, पर धीरे धीरे साथ देने लगीं और खुद ने मुझे कसकर गले से लगा लिया.
वे भी मुझे होंठों से चूमने लगीं.

हम दोनों के होंठ किसी फेविकोल के जोड़ के जैसे जुड़ गए थे.

मैंने उनके मुँह में अपनी जीभ सरका दी.
दीदी मेरी जीभ को चूसने लगीं.

तो मैंने उनके एक दूध पर अपनी हथेली जमा दी और दूसरे हाथ से उनकी गांड को अपनी तरफ खींच कर अपने कड़क होते लंड का अहसास करवाने लगा.

दीदी ने एक बार को तो अपनी कमर मेरे लंड से दूर करने की कोशिश की, पर मेरी पकड़ मजबूत थी और ऊपर होंठों से होंठ व जीभ से उनके मुँह के अन्दर की लार को चाटने लगा था.
तो दीदी ने भी हथियार डाल दिए और मेरे सीने से झूल गईं.

अब कभी मैं अपनी जीभ उनके मुँह में डाल रहा था तो कभी वे अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल कर रस चूसने लगी थीं.

ऐसे ही 15 मिनट की चूमाचाटी के दौरान मैं उनके बूब्स को भी मसलते हुए सहला रहा था.

फिर मैं उनसे अलग को होने लगा.
पर अब वे मुझसे अलग होने का नाम भी नहीं लेना चाह रही थीं.

मैंने जबरन दीदी से अलग होकर एक बार को दूर हुआ और उन्हें साड़ी में देखने लगा.
दीदी मेरी नजरों को वासना से देख रही थीं.

मैंने कहा- आप दुनिया की सबसे सुंदर लड़की हो मेरी नजर में … आप बहुत सेक्सी हो दीदी!

अपनी तारीफ़ सुनकर दीदी मुस्कुरा उठीं और मैं वापस उनके पास आ गया.

अब मैं उनकी साड़ी खोलने लगा और वे मेरी आंखों में आंखें डाल कर अपनी वासना की दास्तान सुनाने लगी थीं ‘आह आकाश … मुझे ठंडी कर दो भाई … मैं बहुत प्यासी हूँ!’

मैंने उनकी पूरी साड़ी खोल दी.
अब दीदी मेरे सामने ब्लाउज और पेटीकोट में खड़ी थी.
वे अपनी आंखें बंद की हुई खड़ी थीं.

मैंने उनके ब्लाउज के बटन खोले और धीरे से हाथ को पेट पर ले जाकर उनके पेटीकोट का नाड़ा ढीला कर दिया.

उनका पेटीकोट रहम की भीख माँगता हुआ नीचे गिर गया.

अब मेरे सामने मेरी बहन सिर्फ ब्रा और पैंटी में खड़ी थी.

मैं भी अपने कपड़े हटा कर सिर्फ अंडरवियर में आ गया.

दीदी अभी भी अपनी आंखें बन्द किए हुई थीं.
मैंने दीदी से आंखें खोलने के लिये कहा.

वे अपनी आंखें खोल कर मेरे नीचे देखने लगीं.
उन्हें मेरे अंडरवियर में खड़ा लंड दिख रहा था और वे ये देखकर शर्माने लगीं.

मैंने दीदी को उठा कर बेड पर लिटा दिया और उनके बूब्स को ब्रा के ऊपर से ही धीरे धीरे सहलाने लगा.

फिर पीछे हाथ ले जाकर मैंने ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा को मम्मों से अलग कर दिया.

उनके लेटे होने पर भी उनके दूध जरा भी नहीं ढलके थे, एकदम कसे हुए दूध देख कर मेरी वासना में ज्वार आ गया.

मैं दीदी के एक दूध को चूसने लगा और दूसरे को मसलने लगा.
दीदी मादक सिसकारियां लेने लगीं.

कुछ ही पलों में उनकी कामुक सिसकारियां पूरे कमरे में गूंजने लगी थीं.
दीदी ने मेरे सर को अपने हाथ से दबाया और अपने मम्मों पर दबाने लगीं.

कुछ देर तक दूध चूसने के बाद मैंने दीदी की पैंटी को भी नीचे खींच दिया.

उनकी चूत रस बहा रही थी. मैं चूत को देखने लगा.
आज शायद दीदी ने अपनी लाइफ में सबसे ज़्यादा पानी बहाया होगा.

मैं उनकी झांटों से भरी चूत को देखने लगा और नाक नजदीक ले जाकर चूत को सूंघने लगा.

चूत की मधुर सुगंध मेरे दिलो दिमाग पर छाने लगी थी.

मैं उनकी चूत पर किस करने लगा तो दीदी सिसक पड़ीं ‘आह …’

तभी मैं अपनी जीभ निकाल कर उनकी चूत को चाटने लगा.
वे पागल हुई जा रही थीं और ज़ोर ज़ोर से सिसकारियां लेने लगी थीं

मैंने कहा- धीरे दीदी, जीजा जाग जाएगा अभी!
मैं उनकी पैंटी को उनके मुँह में डालकर उनकी चूत चाटने लगा और वह मेरा सिर अपनी चूत में दबाने लगी थीं.

फिर वे मेरा सर छोड़ कर अपने दोनों हाथों से बेडशीट को कसकर पकड़ कर गांड उठाती हुई मेरे मुँह से अपनी चूत की खुजली को मिटवाने लगीं.

पूरी तन्मयता से मैं दीदी की चूत को चाटते हुए चूत के दाने को अपने होंठों से दबा कर धीरे से काटने लगा.
और दीदी उसी पल अकड़ कर अपनी चूत से पानी बहाने लगीं.

मैं भी किसी प्यासे कुत्ते की तरह दीदी की चूत का पानी पीने लगा.
मुझे उनकी चूत का रस एक नमकीन स्वाद वाला बहुत पसंद आया था.
मैं लपर लपर चूत चाट रहा था और दीदी बुरी तरह से हांफ़ रही थीं.

फिर मैंने एक दो मिनट तक चूत में मुँह लगे हुए ही उनके दोनों मम्मों को दबाया और उन्हें आराम महसूस करवाया.

अब दीदी का फिर से मन होने लगा तो उन्होंने अपनी चूत को मेरे मुँह पर वापस रगड़ा.
मैंने सर उठा कर उन्हें देखा तो वे चूत चोदने का इशारा करने लगीं.

तब मैंने उठ कर अपना अंडरवियर उतार दिया और उससे निकला लंड को दीदी देखती रह गईं.

दीदी मेरे लंड के पास आईं और डरते डरते लंड को छुआ … और एकदम से शर्माने लगीं.

मैंने उनको नीचे झुकाया और लंड चूसने को कहा.
तो दीदी ने लंड को अपने मुँह में ले लिया और सुपारे को जीभ से प्यार करने लगीं.

फिर दीदी लंड को मुँह में लेकर अन्दर बाहर करने लगीं जिससे पूरा लंड गीला हो गया.

मैंने दीदी को बेड पर लेटने को कहा.
दीदी शर्माती हुई लेट गईं और मैंने मिशनरी पोजीशन में आकर उनकी चूत पर लंड सैट कर दिया.

पहले सुपारे से चूत का चुंबन लिया, तो दीदी ने कमर उठा कर लंड को प्यार किया.

उसी वक्त मैंने एक प्यारा सा धक्का लगा दिया.
मेरा सुपारा चूत के अन्दर चला गया और दीदी ने बेडशीट को कसकर पकड़ लिया.

मैंने दीदी के मुँह पर हाथ रखा और एक करारा शॉट लगा दिया.
मेरा आधा लंड अन्दर घुसता चला गया और उन्होंने अपने नाखून मेरी पीठ पर गड़ा दिए.

वे दर्द से कराहने लगीं.
मैं उन्हें तड़फती देख कर थोड़ा रुका और किस करने लगा.

फिर दीदी सामान्य होने लगीं तो मैं लंड को अन्दर बाहर करने लगा.
मैंने दीदी से कहा- तुम अपने पैर मेरी कमर से लपेट लो.

उन्होंने वैसा ही किया और मैंने एक और करारा शॉट लगा दिया जिससे कमरे में दीदी की चीख गूँज गई.
पर इस बार मैंने झपट कर उनके मुँह पर हाथ रख दिया.

उनकी आंखों से आंसू आ गए.
शायद दीदी मेरे मोटे लवड़े को सहन नहीं कर पाई थीं.

मैं लंड पेले हुए ही रुक गया था और अपने मुँह से उनके एक दूध को चूसने लगा था.

थोड़ी देर बाद मुझे लगा कि अब दीदी सामान्य हो गई हैं, तो मैं उन्हें चोदने लगा.

मेरा 7 इंच लंबा और 3 इंच मोटा लंड दीदी की चूत को भोसड़ा बनाने की जिद में तेजी से अन्दर बाहर हो रहा था.
उनकी चूत टाइट थी, फिर भी लंड चूत की जड़ तक जाता और सुपारे तक बाहर आता.

कमरे में दीदी की कामुक सिसकारियां गूंजने लगी थीं.
वे मस्त हो गई थीं और बोलने लगी थीं- आह और तेज चोदो ओह एयेए आह चोदो मुझे और ज़ोर से चोदो!

ऐसे ही मैं लगातार काफी देर तक मिशनरी पोजीशन में दीदी को चोदता रहा.

फिर मैंने एक झटके में दीदी को अपने लंड के ऊपर ले लिया और वह लंड पर कूदने लगीं.
वे अपने मुँह पर हाथ रख कर कामुक सिसकारियां लेने लगी थीं.

उसके बाद मैंने उन्हें अपनी गोदी में उठा लिया और झूला झुलाते हुए उनकी चूत चोदने लगा.

इस आसन में बड़ी ताकत की जरूरत होती है.
मैं ठहरा पहलवान, सो बड़ी मस्ती से उनकी चूत को तबला की तरह बजाए जा रहा था.
दीदी भी मस्त हो गई थीं.

मैं उन्हें उठा उठा कर नीचे से शॉट दे रहा था.
इस पोजीशन में लंड पूरा अन्दर जाते ही दीदी ज़ोर से सिसकारी लेतीं और वापस ऊपर आते समय वे अपनी चूचियां मेरे बदन से रगड़ देतीं.

मैं भी करारे करारे शॉट देने लगा था और रूम में ठप ठप की तेज आवाज़ आने लगी थी.

उसके बाद मैंने उन्हें डॉगी स्टाइल में खड़ा किया और गांड की तरफ से चूत चोदने लगा.
इस पोजीशन में दीदी ज़्यादा सिसकारी लेने लगीं और ठप ठप की आवाज भी तेज आने लगी.

मैं लगातार चोदता जा रहा था.

अब तक दीदी झड़ गई थीं पर वे थकने के बावजूद भी मुझसे लगातार चुदते रहना चाहती थीं.

मैं भी किसी ताकतवर सांड की तरह से उन्हें चौपाया बनाए हुए धकापेल चोद रहा था.
दीदी बेडशीट पकड़ कर चूत चुदवाने का मजा ले रही थीं.

उसके बाद मैंने उन्हें पेट के बल लेटा दिया और नीचे से चूत में लंड देकर चोदने लगा.
वे कराहने लगीं और कहने लगीं- और ज़ोर से चोद साले बहन के लंड … चोद दे अपनी बहन की चूत आह ज़ोर से चोद माँ के लौड़े … आह मजा आ रहा है.

मैं पहले ही अपने चरम पर था.
दीदी की गालियां सुनकर मैं एकदम से पिघलने को हो गया और उनसे कहने लगा.

मैं- कहां निकालूँ दीदी, मेरा होने वाला है?
दीदी- आह … अन्दर ही निकाल दे मेरे शोना बाबू … आह जल्दी जल्दी पेल … मेरा भी होने वाला है.

मैंने ज़ोर ज़ोर के शॉट दिए और हम दोनों साथ में झड़ने लगे.
हम दोनों ही बुरी तरह से हांफने लगे थे.

मैं उनके ऊपर ही लेट गया और थोड़ी देर के बाद उठ गया.

तब मैं बाथरूम में गया और दीदी को भी बाथरूम के आने लिए मदद की.
मैंने टाइम देखा तो 3 बजे थे.

हम दोनों ने अपने अपने कपड़े पहन लिए क्योंकि अब गहरी नींद आने वाली थी तो सुबह पहनने का टाइम शायद ना मिलता.

दीदी बोलीं- थैंक्स भाई, मुझे आज जैसा सुख कभी नहीं मिला!
मैं- अब मैं जब तक यहां हूँ, तब तक देखना आपको बहुत मजा आएगा और मुझे भी अपनी बहन की जवानी से खेलने का मजा मिलेगा.

वे हंसने लगीं.

मैं- मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि जिस काम की देवी को मैं इतना चाहता था, वह आज मेरी बिस्तर पर मेरे साथ है. थैंक्स दीदी. जब तक मैं यहां हूँ आपके चेहरे पर उदासी नहीं आने दूँगा.
यह बात सुनकर दीदी ने मेरे होंठों पर चुम्बनों की बरसात कर दी.

दीदी- आई लव यू आकाश.
मैं- आई लव यू टू दीदी.

दीदी- भाई अब सो जाते हैं, काफ़ी रात हो गई है … और तुमको कल भी यही मेहनत करनी पड़ेगी.
उन्होंने मुस्कुराते हुए यह कहा तो मैंने उनके दूध मसल दिए.

मैं- जरूर दीदी, आपके जैसी माल को कौन चोदना नहीं चाहेगा!
ये बात सुनकर दीदी ने अपना चेहरा मेरी छाती में छुपा लिया और कहा- गुड नाइट डार्लिंग.
मैं- गुडनाइट मेरी जान.

फिर हम दोनों एक दूसरे को अपने आगोश में लेकर सो गए.

अगले 15 दिन तक मैं यहां रहा और घर के हर कोने में बड़ी बहन चूत चुदाई की.
कभी किचन में, कभी बाथरूम में, कभी छत पर, कभी मेरे कमरे में.

एक बार तो जीजू को नींद की गोली देकर उन्हीं के बिस्तर पर उन्हीं के बाजू में लेट कर अपनी बहन की ताबड़तोड़ चुदाई की.
बाद मैं मैंने उनकी पेंट खोल दी थी जिससे उन्हें लगे कि उन्होंने चुदाई की है.

एक बार मैं, दीदी, जीजू और उनके मॉम डैड सब लोग मूवी देखने गए.
तब सब लोगों ने आगे की टिकट बुक करवाई.
मैंने ओर दीदी ने कोने वाली ले ली.

उधर भी मैंने बिना किसी को जानकारी लगे दीदी के साथ मजे किये.

दीदी का ध्यान मेरे लंड को चूसने में रहता है, दीदी को डीप थ्रोट और स्टैंडिंग डॉगी स्टाइल बहुत पसंद है.

इसी तरह मैंने और दीदी ने काफी मजे किए … और ये सिलसिला आगे भी जारी रहेगा.
बड़ी बहन चूत चुदाई कहानी आपको कैसी लगी, प्लीज जरूर बताएं.
ag0016735@gmail.com
 

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